मीराबाई की जीवनी - प्यारी खबर
परिचय
मीराबाई एक प्रसिद्ध आध्यात्मिक कवयित्री और संत थीं। उन्होंने अपनी कविताएँ और भक्ति आंदोलन के माध्यम से एक उच्च स्थान प्राप्त किया। मीराबाई के बारे में जानकारी यहाँ पाएं।
जीवनी
मीराबाई ___MIRABAI BIORAPHY IN HINDI___ की जीवनी एक मनमोहक कथा है। उनका जन्म 15वीं सदी के मध्य में राजपुताना के उदयपुर जिले में हुआ था। पिता के पश्चात सम्राट सांगार सींह ने अपने राज्याधीश के रूप में प्रियंकादास को चुना, जो मीराबाई के जन्म के बाद हुआ। जैसा कि सामान्यतः अद्वैत के आदर्श भक्त होते हैं, इसलिए मीराबाई के परिवार ने उन्हें अपने जीवन के एकदाल के रूप में पूरी तरह स्वीकार नहीं किया।
मीराबाई के बचपन का समय उनकी माता के साथ न्यूजीलैंड में बिता। वहां उन्होंने एक पठन परिवेश का आनंद लिया, जिसने उन्हें संस्कृत ग्रंथों पर पठन के लिए प्रवृत्त किया। उन्होंने सांगार सिंह से मंगवाई जुलियनद तेरसियर स्कूल में शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने अपने धार्मिक उद्यमों के लिए एक ब्रह्म चरित्र प्राप्त किया और उर्वशी की तरह गीतों का लेखन किया।
वैवाहिक जीवन
मीराबाई ने विवाह की आयु में सूरजमल राजपूत से विवाह किया, किंतु उनके पति की मृत्यु हो गई थी। मीराबाई ने रहमतखान मियां से रिमार्राया, जिसकी वजह से वे खुद को भक्ति में जीना संभव बनाते थे। किंतु अपने भक्ति साहित्य के कारण, मीराबाई का विवाह और शौहर के साथ जीवन इसतेमाल नहीं किया जा सकता, आध्यात्मिक भक्ति के प्रतिष्ठितता और स्वतंत्रता के चलते।
अपने संगीत और भजनों के प्रति अपूर्व माहिरी के कारण, मीराबाई विशेष रूप से महाराणा परताप सिंह का मार्गदर्शन करती थीं। मीराबाई के प्रति आकर्षण के आधार पर, महाराणा परताप सिंह के मंदिर में एक अलग श्रृंगारिक आदर्श संग्रहालय गठित किया गया। इसमें मीराबाई द्वारा पहने गए पतलूँ, आभूषण और सजावटी वस्त्र संग्रहित हो गए।
प्रसिद्धि और साहित्य
मीराबाई के आध्यात्मिक संचयन से उन्होंने सांसारिक संगठनियों में बड़ी प्रसिद्धि प्राप्त की। उनकी कविताएं और भजन संग्रह समाज को आध्यात्मिक ज्ञान और प्रेरणा देते हैं।
उनकी भक्ति आंदोलन ने सामाजिक और सांस्कृतिक संशोधन को प्रभावित किया है। उनका लिखा कार्य पंथ के समर्थन में केंद्रित है, जिसने देश और समाज में धार्मिक स्वतंत्रता से जुड़ाव बढ़ाया।
साहित्यिक योगदान
मीराबाई के द्वारा लिखित गीत और पद प्रस्तुत करने के लिए आवश्यक अध्यात्मिक आंतरिकता की मस्स सामाजिक संस्कृचि का प्रसार किया। उनकी गीत उच्च रचनात्मकता और भक्ति के आंदोलन की वर्णनात्मक प्रक्षेपण में भी अद्वितीयता प्रदान करती हैं।
निष्कर्ष
मीराबाई एक प्रकांड आध्यात्मिक योद्धा, कवि और संत रही हैं। उन्होंने अपने काव्य में भक्ति, प्रेम, और धार्मिकता के माध्यम से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय जीवन को प्रभावित किया।
संदर्भ
- स्रोत 1: https://hi.wikipedia.org/wiki/मीराबाई_की_जीवनी
- स्रोत 2: https://www.livehindustan.com/tags/mirabai